कोरोना के विपदा काल में संतुलन बनाए रखें
एक नाव बीच नदी में डूब गई, शिकायत राजा तक आई... राजा के दरबार में पेशी हुई राजा ने नाविक से पूछा – नाव कैसे डूबी? राजा : क्या नाव में छेद था? नाविक – नहीं महाराज, नाव बिल्कुल दुरुस्त थी! राजा – क्या तुमने सवारी अधिक बिठाई? नाविक – नहीं महाराज, सवारी नाव की क्षमतानुसार ही थे और न जाने कितनी बार मैंने उससे अधिक सवारी बिठाकर भी नाव पार लगाई है! राजा – आँधी, तूफान जैसी कोई प्राकृतिक आपदा भी तो नहीं थी न? नाविक – मौसम सुहाना तथा नदी भी बिल्कुल शान्त थी महाराज! राजा – कहीं मदिरा पान तो नहीं किया था तुमने? नाविक – नहीं महाराज, आप चाहें तो इन लोगों से पूछ कर संतुष्ट हो सकते हैं यह लोग भी मेरे साथ तैरकर जीवित लौटे हैं! महाराज – फिर, क्या चूक हुई? कैसे हुई इतनी बड़ी दुर्घटना? नाविक – महाराज, नाव हौले-हौले, बिना हिलकोरे लिये नदी में चल रही थी. तभी नाव में बैठे एक आदमी ने नाव के भीतर ही थूक दिया! मैंने पतवार रोक के उसका विरोध किया और पूछा कि भाई "तुमने नाव के भीतर क्यों थूका?" उसने उपहास में कहा – "क्या मेरे नाव में थूकने से ये नाव डूब जायेगी?" मैंने कहा – "नाव तो नही